सीड ने महत्वाकांक्षी अक्षय ऊर्जा योजना में बिहार की बड़ी हिस्सेदारी की मांग की
भारत सरकार ने देश के विकास में स्वच्छ ऊर्जा अधिसंरचना की जरूरत को ठोस रूप से स्वीकार किया
पटना ।।2 अक्तूबर।। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धाजलि अर्पित करने के पावन दिवस के मौके पर भारत सरकार ने बेहद महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए क्लामेट चेंज की चुनौतियों से निबटने के लिए आगामी दिसंबर माह में प्रस्तावित पेरिस सम्मेलन के पहले बहुप्रतीक्षित ‘इनटेडेड नेशनली डिटमर्नाइंड कंट्रीब्युशन’ की घोषणा कर दी है। पेरिस में प्रस्तावित ‘कोप-21 वार्ता’ के महत्वपूर्ण सदस्य देश भारत का यह ‘आइएनडीसी कमिटमेंट’ जरूरी है, क्योंकि क्लाइमेट विशेषज्ञ इसकी जांच-पड़ताल करेंगे कि यह वैश्विक तापमान में दो प्रतिशत की वृद्धि की रोकथाम के लिए काफी है भी या नहीं। ।
भारत सरकार द्वारा जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निबटने के लिए उठाये गये इस महत्वपूर्ण कदम की सराहना करते हुए सेंटर फाॅर एन्वाॅयरोंमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) के चीफ एक्जीक्यूटिव आॅफिसर श्री रमापति कुमार ने कहा कि ‘सरकार ने स्वच्छ ऊर्जा पर विशेष जोर, वनीकरण को बढ़ावा, कोयला पर अतिरिक्त कर भार और कार्बन उत्सर्जन को कम करने से संबंधित कई जरूरी पहल लेकर और बड़ी प्रतिबद्धता दिखा कर अपनी नेतृत्व क्षमता प्रदर्शित की है। इसके अलावा अक्षय ऊर्जा पर खास जोर देकर देश के राजनीतिक नेतृत्व ने यह संकेत दिया है कि यह कदम न केवल देश को विकास के पथ पर अग्रसर करेगा, बल्कि देशवासियों को स्वच्छ आबोहवा व सततशील भविष्य भी मुहैया करायेगा। निश्चय ही यह सही दिशा में उठाया गया उचित कदम है, जो वास्तव में भारत को 100 फीसदी अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य की ओर बढ़ने में शक्ति व गति प्रदान करेगा।’
दरअसल भारत ने पेरिस क्लाइमेट वार्ता के पहले सीओपी (काॅन्फ्रेंस आॅफ पार्टीज) के प्रति उत्तरदायित्व निभाते हुए अपनी ‘इंटेंडेड नेशनली डिटर्माइंड कंटीब्युशन’ योजना को पेश कर दिया है, जिसके तहत इसने वर्ष 2005 के स्तर से वर्ष 2030 तक अपने जीडीपी में उत्सर्जन की तीव्रता को 35 से नीचे 33 फीसदी यानी दो प्रतिशत कम करने की प्रतिबद्धता जतायी है। अन्य कार्यक्रमों व कदमों के बीच भारत अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता को 35, 000 मेगावाट (मार्च 2015) से वर्ष 2022 तक 1,75,000 मेगावाट तक पहुंचाने को प्रतिबद्ध है, जो कि बेहद महत्वपूर्ण व निर्णायक कदम होने जा रहा है।
श्री रमापति कुमार ने आगे बताया कि ‘बिहार के सभी राजनीतिक दलों के सभी नेतागणों को अपने राजनीतिक मतभेदों से आगे बढ़ कर इस मसले पर एक हो जाना चाहिए और सरकार के आइएनडीसी प्रोग्राम के तहत अक्षय ऊर्जा में बिहार की ज्यादा हिस्सेदारी की मांग पर जोर देना चाहिए। चूंकि जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला संसाधन पर आधारित अर्थव्यवस्था विकासशील बिहार के लिए भी नयी चुनौतियां लायेगी, ऐसे में राज्य के सभी राजनीतिक प्रतिनिधियों को इस कड़वी सच्चाई से अवगत हो जाना चाहिए कि अक्षय ऊर्जा को ठोस नीतिगत रूप देने और इस पर प्रभावी क्रियान्वयन के बिना बिहार न तो आगे बढ़ सकता है और ना ही अपनी आबादी को चैबीसो घंटे व सातों दिन बिजली उपलब्ध करा सकता है। यह समय की मांग है कि बिहार को एक वैकल्पिक विकासपथ पर चलते हुए चरणबद्ध तरीके से 100 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य को पूरा करना चाहिए।’
स्वच्छ पर्यावरण व सुरक्षित ऊर्जा के मसले पर सक्रिय संस्था सीड बिहार में 100 फीसदी अक्षय ऊर्जा के अभियान पर काम कर रही है और इसके तहत अक्षय ऊर्जा के पक्ष में करीब 10 लाख लोगों को एकजुट कर उनका समर्थन जुटाया है। ऊर्जा के मामले में निर्धन प्रदेश बिहार दरअसल बाहर से बिजली सेवाएं आयात करता है, ऐसे में यह राज्य ज्यादा दिनों तक आत्मनिर्भर नहीं बन सकता और न आगे बढ़ सकता है, जब तक कि यह अक्षय ऊर्जा क्षेत्र का सकारात्मक रूप से भरपूर उपयोग नहीं कर लेता।
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