पटना(बिहार)।। कभी नीतीश तो कभी लालू के संग रहे पर इस नेता के इंतकाल पर सब हुए दुखी और गमगीन हुआ बिहार। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सांसद मो0 तस्लीमुद्दीन के निधन पर गहरी शोक संवदेना व्यक्त की।
राजकीय सम्मान के साथ होगा सांसद मो0 तसलीमुद्दीन का अंतिम संस्कार। राज्य सरकार चेन्नई से पटना लायेगी पार्थिव शरीर।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अररिया से सांसद मो0 तसलीमुद्दीन के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने सांसद मो0 तसलीमुद्दीन के पुत्र सरफराज आलम से दूरभाष पर बातकर उन्हें सांत्वना दी। सरफराज आलम जोकीहाट से जदयू विधायक हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सांसद मो0 तसलीमुद्दीन के पार्थिव शरीर को चेन्नई से पटना लायेगी। राजकीय सम्मान के साथ सांसद मो0 तसलीमुद्दीन का अंतिम संस्कार किया जायेगा।
अररिया सांसद तस्लीमुद्दीन ने मद्रास के अपोलो हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। 50 वर्षों से अधिक का इनका राजनीतिक जीवन रहा। जनता उन्हें सम्मान से सीमांचल का गांधी कहटी थी। वर्तमान में अररिया के राजद पार्टी से सांसद थे। अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत सरपंच से की और गृह राज्य मंत्री तक की जिम्मेदारी निभाई। 1959 में सरपंच बने, 1964 में मुखिया, 1969-89, 1995-96 and 2002-2004 के बीच विधायक चुने गए। मुख्यमंत्री ने अररिया से सांसद मो0 तस्लीमुद्दीन के चेन्नई अपोलो हॉस्पिटल में इलाज के दौरान निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि वे एक प्रख्यात राजनेता एवं प्रसिद्ध समाजसेवी थे।
उनके निधन से न केवल सामाजिक बल्कि राजनीति के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर शान्ति तथा उनके परिजनों, अनुयायियों एवं प्रशंसकों को दुःख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है। नीतीश और बीजेपी के खिलाफ अपने कड़े तेवर के लिए भी तस्लीमुद्दीन जाने जाते थे। नीतीश से इतनी नाराज़गी थी के ये तक कह डाला था कि नीतीश कुमार मुखिया बनने के लायक भी नहीं हैं, पीएम बनने की बात तो भूल ही जाएं। महागठबंधन के मुद्दे पर उन्होंने कहा था कि मैं तो चाहता हूं कि आरजेडी और जद-यू का गठबंधन अभी टूट जाए, लेकिन यह तो लालूजी का ही फैसला होगा। बीजेपी के खिलाफ भी वे इसी प्रकार हमलावर रहे।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने भी निधन पर जताया शोक, राबड़ी, मीसा, तेजस्वी, तेजप्रताप ने भी जताया शोक। केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने भी जतायी संवेदना और कहा कि काफी अनुभवी साथी नेता थे तस्लीमुद्दीन।
सांसद तस्लीमुद्दीन का राजनीतिक करियर एक नज़र में :-
1969 में वे पहली बार जोकीहाट से INC पार्टी से विधायक बने। इसके बाद 1972 में जोकीहाट से निर्दलीय विधायक बने।
1977 में जोकीहाट से ही JNP व 1980 में JNP से अररिया के विधायक। 1985 में भी JNP से विधायक बने।
1989 में जनता दल से पूर्णिया से सांसद बने। इसके बाद ये फिर 1995 में सपा से जोकीहाट के विधायक बने।
1996 में जनता दल से किशनगंज। 1998 में राजद से किशनगंज के सांसद बने। 1999 में ये किशनगंज में शहनवाज़ हुसैन से हार गए। पुनः 2004 में किशनगंज से राजद के सांसद व 2014 में अररिया से राजद के सांसद बने।