नई दिल्ली।।नोटबंदी के बाद बैंकों के पेमेंट सिस्टम में किये गए बदलावों से बैंकों को 3,800 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। यह बात स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा है।एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कैशलेस सिस्टम के लिए खरीदी गई PoS मशीनों की संख्या इस साल जुलाई तक 28 लाख हो चुकी हैं।
एसबीआई के अनुमानों के मुताबिक, इंटर बैंक ट्रांजैक्शंस से पीओएस टर्मिनल्स पर 4,700 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। इसमें से अगर एक ही बैंक में किए गए पीओएस ट्रांजैक्शंस को घटा दें तो यह कुल घाटा 3,800 करोड़ रुपये हुआ।
रिपोर्ट के मुताबिक, भले ही डेबिट और क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शंस बढ़े हों लेकिन कम एमडीआर, कार्ड का कम इस्तेमाल, कमजोर टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे कारणों से बैंकों को भारी घाटा हुआ है। इस रिपोर्ट को तैयार करने वालीं, एसबीआई ग्रुप की मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्या कांति घोष ने कहा, ‘हमारा मानना है कि बैंकों द्वारा विकसित किए गए पॉइंट ऑफ सेल (PoS) इन्फ्रास्ट्रक्चर को पूरे मन से सपोर्ट करना होगा।’ ज्ञात हो कि पीओएस मशीन का इस्तेमाल डेबिट या क्रेडिट कार्ड से पैसे काटने के लिए किया जाता है।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘सरकार ने PoS इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं और बैंकों ने भी अधिक से अधिक पीओएस मशीनों को इंस्टॉल किया है। लेकिन लंबे समय की बात करें तो उद्देश्य तभी पूरा होगा जब PoS से होने वाले ट्रांजैक्शंस एटीएम को पीछे छोड़ देंगे। जो अभी मुश्किल लगता है।
Post a Comment