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डॉ0 सपना सिंह 'सोनश्री' |
मैं भी मुस्कुराती हूँ
उम्मीद ने फिर एक बार,
दस्तक दी मेरे द्वार पर...
एक अनबुझी पहेली सी,
मुस्कुराई वो देख मुझे।
सस्मित पूछ बैठी वो,
कुछ चाहिए क्या?
हाँ!चाहिए एक स्वप्न साकार,
समय कैसा भी हो,
वो कभी टूटे नहीं,
उसे पाने में,
कोई अपना छूटे नहीं।
उम्मीद ने फिर एक बार,
दस्तक दी मेरे द्वार पर...
जाओ हर मुराद पूरी होगी
कहाँ उसने मुस्कुराते हुये,
तब से आज तक,
वो भी मुस्कुराती है
और सच बताऊँ,
मैं भी मुस्कुराती हूँ।।