डॉ0 विजय नाथ मिश्र
मेरा नाम मिर्गी है। मैं पूरे विश्व में, समान रूप से हर, जाति, धर्म, लिंग, और अमीर ग़रीब सबमे विद्यमान रह सकतीं हूँ। मेरे प्रकार अनेक हैं। बच्चों में मैं, ज़्यादेतर, मैं बुखार के साथ, साधारण झटके की तरह आ सकती हूँ, तो कभी दिमाग़ी बुखार के साथ आ सकतीं हूँ तो कभी मंद बुद्धि के साथ आ सकतीं हूँ।
बड़ों में मैं, सिर में चोट लगने से, सिर में टूमर होने से, शराब पीने से मैं आ सकतीं हूँ। कई बार मैं, लक़वे के साथ भी आती हूँ। बूढ़ों में ज़्यादेतर, मेरा प्रवास कब होता है जहाँ ब्लड शुगर या ब्लडप्रेशर की बीमारी से छोटे छोटे लक़वे हो जाएँ। सिर में इन्फ़ेक्शन या टूमर से भी मैं आ सकतीं हूँ।
पर, पूरे विश्व में, मैं नूरोसिस्टीसेरकोसिस (NCC) के कारण 63% लोंगों को ग्रसित करती हूँ। मेरा NCC के साथ अवतार तभी होता है जब आपके पीने के पानी में सीवेज़ एवं टट्टी मल जल मिला हो, जैसा कि आजकल महानगरों में हो रहा है। पूरा का पूरा सीवेज़, बिना शोधन किए, शहर गंगा जी में गिराती है, और फिर कुछ ही दूरी पर, वॉटरवर्क्स, नदी में से पानी ले कर वापस, आपको ही पिला देगा।
पेट में, जैसे स्यस्टिकेरकोसिस के कीटाणु जाते हैं वे ख़ून के माध्यम से जगह जगह फैल जाते हैं, और दिमाग़ में जाकर के, मिर्गी ले आते हैं।
मेरा पहला इलाज है कि मुझसे बचिए। गंदे पानी को न पिए। अगर मैं आ गयी, तो बहुत दवाइयाँ है, और किसी को भी दी जा सकती हैं। कुछ दवाइयाँ, महिलाओं को नही देनी है। गर्भावस्था में भी दवा दे सकते हैं।
मैं ना तो छुवाछूत की बीमारी हूँ और नाहीं कोई अभिशाप। ना तो बच्चा पैदा करने में दिक़्क़त। बस टाइम से दवा खाओं। कुछ दवाइयाँ, छः महीने और कुछ में उम्र भर। कुछ चुनिंदा लोंगो को भी मैं हूँ, जैसे रिकी पोंटिंग, झोंटी रोड्ज़, इत्यादि। सब दवा खा कर ठीक हैं। अच्छे डाक्टर्ज़ से मैं बहुत डरतीं हूँ। वे मेरी पहचान कर मुझे ठीक कर देते हैं।
ख़ैर, नियमित दवा खाना, ख़ुश रहना इन सबसे मैं बहुत डर जाती हूँ। आप इलाज करवाइए, मैं दूर रहूँगी।
(लेखक IMS BHU के न्यूरो विभाग में कार्यरत हैं)
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