पटना(स्टेट हेड - मुकेश कुमार)।। गाद प्रबंधन पर आयोजित सेमिनार के उद्धाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि गाद प्रबंधन की राष्ट्रीय नीति बनना चाहिए। बिहार की पहल पर भारत सरकार ने गाद समस्या के अध्ययन के लिए एक कमिटी का गठन किया है। बिहार की गरीबी, पिछड़ेपन और पलायन का मुख्य कारण हर साल आने वाली बाढ़ है। गाद के कारण बाढ़ का फैलाव क्षेत्र बढ़ा है। हर साल बाढ़ से राहत व बचाव कार्य पर सरकार को काफी धन खर्च करना पड़ता है जिससे विकास के अन्य कार्य प्रभावित होते हैं।
श्री मोदी ने कहा कि हाल के वर्षों में बिहार की सभी नदियों में गाद का काफी जमाव हुआ है। बूढ़ी गंडक को छोड़कर कर बिहार की सभी नदियों का उद्गम नेपाल है। हाल के दिनों में नेपाल में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई हुई है जिसके कारण बरसात के दिनों में वहां से आने वाली नदियां अपने साथ काफी मात्रा में गाद लेकर आती है और बिहार के समतल इलाके में उसे छोड़ देती है। इसके कारण नदियों में जगह-जगह 15-20 फीट तक के टीले बन जाते हैं और पानी का प्रवाह बाधित होता है। नतीजतन नदियां अपना रास्ता बदल रही है और नए-नए क्षेत्रों में बाढ़ से परेशानी हो रही है।
क्लाइमेट चेंज के कारण भी कई तरह की परेशानियां पैदा हुई है। पिछले साल एक महीने में जितनी बारिश होती है उतनी तीन दिनों में अररिया और किशनगंज के इलाके में हुई जिससे वहां के लोगों को बाढ़ की भारी तबाही झेलनी पड़ी। इस साल कोसी के इलाके में तापमान में आई अचानक काफी गिरावट से मक्के की फसल में दाने नहीं आए हैं। मौसम परिवर्तन, गाद और बाढ़ का आपसी संबंध है। रिवर हेल्थ एसेसमेंट के जरिए इसे नियंत्रित करने की जरूरत है।