सिद्धपीठ महोत्सव के दूसरे दिन वृंदावन से आये सन्त ने मानस कथा से लोगों में भक्ति रस जगाया।
धानापुर-चन्दौली।।क्षेत्र के खड़ान स्तिथ सिद्धपीठ तपोभूमि पर चल रहे महोत्सव मे वृंदावन से पधारे संत मुनीसानंद ने बुधवार को अपने मुखर बिंदु से मानस के रसधार में लोगों को गोता लगाने पर विवश कर दिया। क्षेत्र के विभिन्न गाओं से आये श्रोता मानस कथा सुनकर भाव विभोर हो गए। संगीतमय मानस कथा के माध्यम से महाराज श्री ने कहा जीवन में सत्संग का बहुत बड़ा महत्व है। बुद्धी दो प्रकार की होती है पहली निश्चयात्मक बुद्धी दूसरा व्यवसायिक बुद्धी। निश्चयात्मक बुद्धी प्रभू की ओर ले जाती है व्यवसायिक बुद्धी दुनियादारी की ओर ले जाती है। भक्ती के भी दो प्रकार बताये पहली अंतरभक्ती दूसरा बाह्यभक्ती, कहा हृदय से प्रभू को याद करना ही अंतरभक्ति है तथा मंदिर में जाकर धूप बत्ती दिखाना बाह्य भक्ति है। कथा के पहले दिन अजामिल की कथा सुनायी गयी। कथा के दौरान अंजनी सिंह, शमशेर सिंह, पप्पू दादा, बचाऊ सिंह, संजय जैसल, अजय सिंह, उर्मिला सिंह, मंजू सिंह, प्रमीला, सीमा सिंह, सुनीता, संगीता, राधिका देवी, गौरी सहित भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।