बाबा गोरखनाथ के आशीर्वाद से
29 साल जिस सन्याशी को कोई हरा न सका मात्र 5 साल की मुख्यमन्त्री के मद रूपी कुर्सी ने इमानदारी योगी आदित्यनाथ को हरा दिया ।
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दीप शंकर मिश्र"दीप" विशेष संवाददाता |
लखनऊ।। लोकसभा उप चुनाव में फुूलपुर और गोरखपुर की लोकसभा सीटों की बराबरी नही की जा सकती क्योकि केशव प्रसाद मौर्य मोदी लहर मे फूलपुर सीट से सांसद चुने गये परन्तु गोरखपुर तो पूज्यबाबा गोरखनाथ के आशीर्वाद से योगी जी को बार बार जितने का मौका मिला वह अभी आज तक किसी लहर मैं नही जीते परन्तु मूख्यमंत्री पद के कारण29 साल की इस जीत पर विराम लग गया। मुख्य मन्त्री पद नही बाबा गोरखनाथ के आशीर्वाद रूपी भगवाधारी सीट को गोरखपुरमठ के इमानदार सन्याशी रूपी लाल योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के मद में पूज्य बाबा गोरखनाथ जी के आशीर्वाद को मुख्यमंत्री की कुर्सी के आगे भुला कर-इमानदार सन्याशी मुख्यमन्त्री योगी आदित्य नाथ मुख्यमन्त्री बनने के उपरान्त अपने पुरानी लोकप्रियता से दूर व कुछ स्वार्थ व सामन्तवादी लोगों से घिर कर अपनी पुरानी भगवाधारी ताकत को कुछ चाटुकारों वह चाहे नेता हो या पत्रकार से घिरने के बाद भूल गये । जिस के कारण प्रदेश के एक इमानदर सन्याशी मुख्यमन्त्री पर कुछ स्वार्थी लोगों द्वारा सामन्तवाद का आरोप भी लगाया जाने लगा। और समय के साथ बहुत जल्द ही गोरखपुर के पूज्यबाबा गोरखनाथ के पवित्र मठ के प्रति अपनी पवित्र भक्ति व अपनी पुरानी भगवाधारी ताकत को गोरखपुर के एक भगवाधारी शेर ने पूज्यबाबा गोरखनाथ के आशीर्वाद को मूख्यमंत्री की कुर्सी व कुर्सी के मद के आगे 29 साल की सांसद रूपी धरोहर को 5 वर्ष की मूख्यमंत्री रूपी कुर्सी के आगे खो दिया । उदारहण गोरखपुर की सीट की हार भाजपा की हार नही यह हार एक इमानदार सन्याशी की हार है। यह हार एक इमानदार मूख्यमंत्री की हार है । यह हार गोरखपुर के पवित्र मठ के इमानदार मठाधीश की हार है । यह हार योगी आदित्यनाथ की भगवा धारी ताकत की हार है। और यह हार मूख्यमंत्री के मद में बैठे मूख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जो आज भी एक इमानदार सन्याशी की सीट की हार की अपने घर की हार की समीक्षा किये की बात करते है उस समीक्षा की हार है । पूज्य बाबा गोरखनाथ के आशीर्वाद से योगी जी की पुरानी शक्ति का केंद्र गोरखपुर व फूलपुर से मोदी लहर में सांसद बने केशव प्रसाद मौर्य की हार में अंतर है । गोरखपुर व फूलपुर की लोकसभा सीट के हार के भी अंतर है । आज देश प्रदेश में जो इमानदार सन्याशी मुख्यमन्त्री का असितत्व है उनका जो वजूद है । केशव प्रसाद मौर्य का नही और उस गोरखपुर जैसे गोरखनाथ जी के मठ की इस सीट के मजबूत स्तम्भ को हटाने व मिटाने के लिये नीचा दिखाने के लिये कुछ लोगों ने इस उप चुनाव को ही उचित,सटीक और मजबूत समय समझा जिसे एक इमानदार सन्याशी से मुख्यमन्त्री बने योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री की पद की सत्ता के मद में समझ नही पाये । अन्यथा29साल से सांसद पूज्य बाबा गोरखनाथ के मठ के इस इमानदार सन्याशी रूपी सेवक को कोई ताकत हिला नही सकी हरा नही सकी परन्तु इस बार उसी ताकत को बहादुर भगवाधारी गोरखपुर के शेर को मुख्यमंत्री की कुर्सी ने कुर्सी के मद ने गोरखपुर से हरा दिया । इसी लिये कहते है गोरखपुर से भाजपा नही इमानदार सन्याशी नही मुख्यमंत्री की कुर्सी का मद हारा है ।इस लेख में चाटुकारिता नही इस लेख के माध्यम से में योगी जी को अवगत कराना चाहता हुँ की मुख्यमन्त्री की कुर्सी पाँच वर्ष और पूज्यबाबा बाबा जी का आशीर्वाद उनकी दी हुई ताकत लोक प्रियता जो मुख्यमंत्री बनने से पहले आपके पास थी , आज नही है । आप बिचार करें जिस प्रकार विश्व गुरु चाणक्य ने एक गाय चराने वाले को सम्राट बनाया था । विश्व गुरु चाणक्य ख़ुद सम्राट नही बने थे । पूज्य बाबा गोरखनाथ का एक इमानदार सन्याशी मठाधीश किसी सम्राट से कम नही । पूज्य बाबा गोरखनाथ के आशीर्वाद रूपी ताकत के आगे मूख्यमंत्री की कुर्सी क्या है । यही कारण है कि आज आपको अपने ही नही जगत गुरु पूज्यबाबा गोरखनाथ द्वारा दिये गये आशीर्वाद की समीक्षा करनी होगी । उप चुनाव में भाजपा के हारने की नही । चुनाओं की समीक्षा तो भाजपा के लौहपुरुष रहे लालकृष्ण आडवाणी करते रहे है । चुनावों की समीक्षा तो मुरली मनोहर जोशी करते रहे है। चुनाओं की समीक्षा तो करने वाले बहुत से नेता है । यही नही विश्व में अपनी लहर पैदाकर प्रधानमंत्री बनने वाले नरेन्द्र भाई मोदी जी भी है । जिनकी लहर ने सैकड़ों भाजपा सांसद पैदा कर दिये । परन्तु योगी आदित्यनाथ जिनके पास बाबा गोरखनाथ का आशीर्वाद था वह किसी लहर में सांसद नही बने ।
योगी आदित्यनाथ 29 साल सांसद रहे तो पूज्य बाबा गोरखनाथ के आशीर्वाद से रहे । आज एक इमानदार सन्याशी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उस आशीर्वाद की समीक्षा करनी है । उपचुनाव की नही ।
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