सिंगरौली (मध्य प्रदेश)।।शिवराज सिंह के सपनो का सिंगापुर सिंगरौली में पर्यावरण दिवस के दिन वायु प्रदूषण की स्थिति पर रिपोर्ट प्रदर्शित करने वाले सरकारी ऐप पर जो स्थिति थी वह भयावह था।"सांस लेने में दिक्कत के साथ दिल की बीमारी हो सकता है"। ऐसी भयावह स्थिति के बावजूद सिंगरौली के जिम्मेदार एनजीटी के आदेश का पालन करने के बजाय टोटका करते हैं,यह जिम्मेदारों के असंवेदनशीलता को ही दर्शाता है।
कोयला वाहक भारी वाहनों से मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जल, थल, आकाश, प्रकृति सभी पर्यावरण की मार से बुरी तरह आहत हैं। जिम्मेदार लोग मुंह फेरकर बैठ गये हैं।
कोयला वाहक भारी वाहनों से मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जल, थल, आकाश, प्रकृति सभी पर्यावरण की मार से बुरी तरह आहत हैं। जिम्मेदार लोग मुंह फेरकर बैठ गये हैं।
अश्वनी दुबे
एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड सुप्रीमकोर्ट ऑफ़ इंडिया
पत्रकारों से रूबरू होते हुए, सिंगरौली जिले के निवासी और उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता अश्वनी दुबे ने कहा कि जिले में पर्यावरण का मुद्दा सबसे अहम है लेकिन उसपर बात नहीं हो रही है। पर्यावरण मंत्रालय एवं एनजीटी के निर्देशों की लगातार अवहेलना हो रही है। संविधान में प्रदत्त कानून की धज्जियां उड़ रही हैं। नियमों का पालन करवाने वाले लोग कर्तव्यविमुख हो गये हैं।
श्री दुबे ने बताया कि विगत दिनों एनजीटी की टीम सिंगरौली में आयी थी, टीम ने जिले के अंदर आरओ प्लांट लगाने के प्रस्ताव को खारिज करते हुए पूरे जिले में पाईप लाईन द्वारा जल आपूर्ति का प्रस्ताव परोस दिया।
ज्ञात हो की, जिले में पाईप लाईन से पेयजल की आपूर्ति २५ वर्षों का प्रोजेक्ट है। २५ वर्षों बाद पर्यावरण की मार से सिंगरौली का क्या हाल होगा यह देखने के लिए शायद सिंगरौली का नागरिक उस लायक रहेगा?
सिंगरौली के बढ़ते हुए पर्यावरण प्रदूषण पर चिंता जताते हुए श्री अश्वनी दुबे ने पत्रकारों को बताया कि एनजीटी की टीम ने एनजीटी के नियमों की मानीटरिंग करने के लिए एक टीम का गठन किया है जिसमें राज्य सरकार के सचिव, जिला कलेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत एवं महापौर शामिल हैं। उन्हें यह बराबर देखते रहना है कि सिंगरौली के प्रदूषण को कम करने के लिए सुझाए गये उपायों का क्रियान्वयन किया जा रहा है या नहीं।
एनजीटी की टीम के सिंगरौली आने के बाद सड़कों की धुलाई, कोयला वाहक वाहनों का आवागमन बंद करना तथा टीम के जाने के तुरंत बाद सभी क्रियाएं पूर्ववत हो जाना जवाबदेहों को संदेह के कटघरे में खड़ा करता है।
श्री अश्वनी दुबे का यह कहना था कि मीडिया जिला कलेक्टर से जवाब मांगे की प्रदूषण नियंत्रण के निमित्त बनायी गयी टीम अपना काम क्यों नहीं कर रही है।
श्री दुबे ने बताया कि विगत दिनों एनजीटी की टीम सिंगरौली में आयी थी, टीम ने जिले के अंदर आरओ प्लांट लगाने के प्रस्ताव को खारिज करते हुए पूरे जिले में पाईप लाईन द्वारा जल आपूर्ति का प्रस्ताव परोस दिया।
ज्ञात हो की, जिले में पाईप लाईन से पेयजल की आपूर्ति २५ वर्षों का प्रोजेक्ट है। २५ वर्षों बाद पर्यावरण की मार से सिंगरौली का क्या हाल होगा यह देखने के लिए शायद सिंगरौली का नागरिक उस लायक रहेगा?
सिंगरौली के बढ़ते हुए पर्यावरण प्रदूषण पर चिंता जताते हुए श्री अश्वनी दुबे ने पत्रकारों को बताया कि एनजीटी की टीम ने एनजीटी के नियमों की मानीटरिंग करने के लिए एक टीम का गठन किया है जिसमें राज्य सरकार के सचिव, जिला कलेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत एवं महापौर शामिल हैं। उन्हें यह बराबर देखते रहना है कि सिंगरौली के प्रदूषण को कम करने के लिए सुझाए गये उपायों का क्रियान्वयन किया जा रहा है या नहीं।
एनजीटी की टीम के सिंगरौली आने के बाद सड़कों की धुलाई, कोयला वाहक वाहनों का आवागमन बंद करना तथा टीम के जाने के तुरंत बाद सभी क्रियाएं पूर्ववत हो जाना जवाबदेहों को संदेह के कटघरे में खड़ा करता है।
श्री अश्वनी दुबे का यह कहना था कि मीडिया जिला कलेक्टर से जवाब मांगे की प्रदूषण नियंत्रण के निमित्त बनायी गयी टीम अपना काम क्यों नहीं कर रही है।