डिजिटल टीम
विशेष रिपोर्ट, उर्जान्चल टाइगर
_________________________फलों के राजा आम के शौकीनों का ज़ायका इस साल थोड़ा कम मीठा रहेगा। इस साल आम के लिए मौसम का मिजाज कुछ ठीक नहीं रहा, लगातार आए तूफान, धूल भरी आंधियां और बेवक्त बारिश ने देश के सबसे बेहतर आम उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में आम उत्पादन को प्रभावित किया है।आम के लिए मौसम की बेरुखी न केवल कीमत पर असर डाला है, बल्कि आम के मिठास यानी गुणवत्ता को भी प्रभावित किया है। मतलब साफ है इस बार फ्लो के राजा को खरीदने में जेब भी ढीली होगी और मिठास का वो मजा भी नही मिल पाएगा।
कैसे बिगड़ा आम का स्वाद
इस साल आम के बौर (फूल) लगभग 99 फीसदी पौधों में समय से आ गए थे। किसानो ने आम की बम्पर फसल होने की उम्मीद भी कर लिए थे। लेकिन मौसम ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। उत्तर प्रदेश का वह क्षेत्र जो, दशहरी, चौसा और लंगड़ा जैसी सबसे अच्छी आमों की किस्मों का उत्पादन करते हैं, वहां का तापमान आम के उत्पादन के लिए प्रतिकूल होता चला गया, तूफान और बारिश ने रही सही कसर पूरी कर दी,तापमान गिरा दिया,वो भी तब जब फल आने के लिए तापमान को ज्यादा रहने की जरुरत होती है। तापमान के प्रतिकूल प्रभाव आम की गुणवत्ता पर पड़ना स्वाभाविक था। गुणवत्ता प्रभावित होने के कारण आम के मिठास का वो मजा इस साल शायद कम मिल पाएगा।
कीट पतंगों ने कहर
आम के बेहतर उत्पादन के लिए आमतौर पर दो या तीन राउंड कीटनाशक स्प्रे की जरूरत होती है,जिससे कीटो पर नियंत्रण रहता है। लेकिन इस बार कीटों को नियंत्रित करने के लिए किसानों को सात से आठ राउंड कीटनाशक स्प्रे करना पड़ा,बावजूद उसके, कीटों ने अपना काम बखूबी किया और फसलों को खूब नुकसान पहुं
कम उत्पादन से बढ़ेगा कीमत
मूसलाधार बारिश और तेज हवाओं के कारण पकने से पहले ही आम के 50-60 प्रतिशत फसल खराब हो गए।जहां इस वर्ष किसानों को लगभग 50 लाख मीट्रिक टन आम उत्पादन होने का अनुमान था, लेकिन अब केवल 25-30 लाख मीट्रिक टन तक ही होने की उम्मीद है।
खरब मौसम के कारण आम के उत्पादन में आई कमी का असर यकीनन बाजरों बिकने वाले आम की कीमतों पर पड़ेगा सीजन के शुरुआत में ही आम 75-150 रुपए किलो तक बिक सकता है।