नई दिल्ली। गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में फरवरी 2002 में हुए अग्निकांड में एक स्थानीय विशेष एसआईटी अदालत ने आज दो आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई।
गोधरा स्टेशन पर 27 फरवरी, 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के स्लीपर कोच एस-6 को जला दिया गया था। इस घटना में 59 लोग मारे गए थे. मरने वालों में ज़्यादातर कारसेवक थे जो उत्तर प्रदेश के अयोध्या से लौट रहे थे।
विशेष न्यायाधीश एच सी वोरा ने इस मामले में फारूक भाना और इमरान शेरू को उम्र कैद की सजा सुनाई जबकि तीन अन्य आरोपियों हुसैन सुलेमान मोहन, कसम भामेड़ी और फारुक धानतिया को बरी कर दिया। अभियोजन पक्ष वर्ष 2002 में साबरमती एक्सप्रेस के दो डिब्बों को जलाने के मामले में दो आरोपियों की साजिशकर्ता के रूप में भूमिका साबित करने में सफल रहा।
इन पांच लोगों को वर्ष 2015-16 में गिरफ्तार किया गया था। इन पर साबरमती केंद्रीय जेल में विशेष तौर पर स्थापित की गई अदालत में मुकदमा चलाया गया था। मोहन को मध्य प्रदेश के झाबुआ से गिरफ्तार किया गया जबकि भामेड़ी को गुजरात के दाहोद रेलवे स्टेशन से पकड़ा गया था। धानतिया और भाना को गुजरात के गोधरा से उनके घरों से पकड़ा गया। भूतक को महाराष्ट्र के मालेगांव से पकड़ा गया था। इस मामले के आठ आरोपी अब भी फरार हैं।
इससे पहले एसआईटी की विशेष अदालत ने 1 मार्च 2011 को इस मामले में 31 लोगों को दोषी करार दिया था, जबकि 63 को बरी कर दिया था। इनमें 11 दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई, जबकि 20 को उम्रकैद की सजा हुई। बाद में हाईकोर्ट में कई अपील दायर कर दोषसिद्ध को चुनौती दी गई, जबकि राज्य सरकार ने 63 लोगों को बरी किए जाने को चुनौती दी।