- अभिभावकों ने बच्चों के लिये लकड़ी का पुल बना जनप्रतिनिधियों को दिखाया आइना।
- पहली बरसात में बह गई थी बिच्छी नदी की पुलिया,छूट गया था बच्चों का स्कूल।
नौशाद अन्सारी
ब्यूरो,सोनभद्र,उर्जान्चल टाइगर
कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों.. जी हाँ दुष्यंत कुमार जी की ये शेर बिलकुल सटीक बैठता है सोनभद्र में।
म्योरपुर ब्लाक के रिहंद जलाशय किनारे के ग्राम पंचायत पिण्डारी के नगराज गांव के ग्रामीणों ने बरसात में पास की बिच्छी नदी पर बने पुल के टूटने पर मरमत न कराये जाने के कारण 40 मीटर लंबी लकड़ी का पूल बना कर जिला प्रशासन और जन प्रतिनिधियों को आइना दिखा दिया है।
ग्रामीणों ने सप्ताह भर पहले गांव की बैठक की जिसमे गाँव के सवा सौ छात्रो के एक माह से स्कूल न जा पाने और अन्य कार्य बाधित होने को लेकर चिंता जताई गई ।क्योंकि गांव से पिण्डारी जाने वाले रास्ते का पुलिया टूट जाने से महीने भर से बच्चें घर बैठ गए थे।जो गांव के लिए दर्द बन गया था।
जिस तरह से दशरथ मांझी ने पहाड़ काट कर रास्ता बना दिया था। ठीक उसी तरह बुजुर्गों की सलाह पर ग्रामीणों ने मजबूत और टिकाऊ लकड़ी इकठ्ठा किया और पुलिया के निर्माण शुरू किया जिसमें गाँव के सभी लोगो ने मेहनत कर पसीना बहाया।कहते हैं न के हिम्मते मर्दा मददे खुदा।गाँव के लोगों की मेहनत रंग लायी और मंगलवार को पुलिया बन कर तैयार हो गया।
गाँव के इंद्रदेव यादव,राम प्रीत,रवि चंद, ज्ञान चंद, साधु राम, सुरेश, बनवारी लाल, सत्ती राम ने बताया कि कई बार ब्लाक के अधिकारियों और नेताओं से गुहार लगाया पर सबने आश्वासन दिया कि अब बरसात बाद ही कोई काम हो सकेगा।
ऐसे में बच्चों की पढ़ाई को लेकर हम लोगो ने यही विकल्प चुना और उस पर अमल भी किया।छात्र सुरेश,बबलू, सुनीता ने बताया कि हम लोगो की पढ़ाई छूट जाने से घर पर गाय बकरी चराना पड़ रहा था।अब हम सब स्कूल जा सकेंगे।हम बच्चों को गाँव के लोगो ने बहुत बड़ा तोहफा दिया है।इस मामले को लेकर खण्ड विकास अधिकारी श्रवण कुमार से संपर्क का प्रयास विफल रहा ।