आम जनता को ऐसे घोषनाओं पर यकीन करने में थोड़ा वक्त लगता है, क्योंकि हर दिन उन्हें अपने काम के लिए सेवा देने वाले कर्मचारियों के नायाब तौर तरीके के कारण उनके दफ्तरों में कितना चक्कर लगाना पड़ता है। लेकिन सरकार का यह घोषणा दिल को राहत जरुर देता है की,बैंक गए बगैर आवेदक के खाते में आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के एक घंटे के भीतर ऋण मंजूर कर दिया जाएगा।
अब्दुल रशीद
सरकार का दावा है की,अब सूक्ष्म, छोटी और मझोली कंपनियों (MSME) को एक घंटे से भी कम समय में 1करोड़ रुपये तक का लोन मिलेगा। इसके लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को एक नया पोर्टल लॉन्च किया है।
भारत सरकार देश में छोटे व लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए इस तरह का प्रयोग कर रही है। वित्त मंत्रालय के सचिव का कहना है कि यह व्यवस्था अगले साल मार्च तक संभव हो जाएगी। इस के लिए सरकार ने एक पोर्टल शुरू किया है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस योजना को लौंच करते हुए कहा था कि इस के जरिए नया कारोबार शुरू करने या अपना काम बढ़ाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से पोर्टल शुरू किया गया है। बैंक गए बिना आवेदक के खाते में आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के एक घंटे के भीतर ऋण मंजूर कर दिया जाएगा।
सरकार का दावा है कि इस पोर्टल से 59 मिनट के बीच ऋण की राशि मंजूर कर दी जाएगी। योजना के तहत कुछ शर्तों के साथ बिना गारंटी ऋण उपलब्ध कराने की भी व्यवस्था की गई है। सरकार की यह सचमुच क्रांतिकारी घोषणा है लेकिन असली चुनौती इसे हकीकत में बदलने की है।
कौन से दस्तावेज बैंक को देने होंगे।
जो कंपनी इस पोर्टल के जरिए शीघ्र लोन प्राप्त करना चाहती हैं उन्हें अपने जीएसटी की विस्तृत जानकारी, आयकर की जानकारी और बैंक स्टेटमेंट सबमिट करना होगा।एक प्रेजेंटेशन में वित्त सचिव राजीव कुमार ने कहा कि यह लोन 8 दिनों के भीतर मिल जाएगा। एक बार MSME द्वारा ऑनलाइन फॉर्म भरने और जरूरी जानकारियां देने के बाद एक सिंगल गेटवे के जरिए दी गई जानकारियों की जांच कंपनी मामलों के मंत्रालय और क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो के साथ की जाएगी।
यह पोर्टल कई बैंकों के साथ मिलकर SIDBI ने बनाया है।
SIDBI ने एसबीआई, पीएनबी, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक और विजया बैंक के साथ मिलकर यह पोर्टल बनाया है।उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में कई और बैंक इस पोर्टल से जुड़ेंगे।
एक सच यह भी है की, सरकार अकसर इस तरह की योजनाएं बनती और घोषणाएं करती है और देश का नागरिक ऐसी घोषणा सुनकर सुनहरे सपने देखने लगता है। लेकिन जब ऐसे लोकलुभावन योजनाओं को अमलीजामा पहनाने की बात आती है तब आम जनता की हालत उस पतंगे की तरह हो जाता है जो दीपक की रौशनी के सम्मोहन में लौ को देख नहीं पता और अंत में अपने पंख को जलाकर अपना मूल ही गंवा बैठता है।
कोई भी योजना को तभी बेहतर माना जा सकता है जब योजना का लाभ लाभार्थी को मिले, ऐसे तो हमारे राजनेता शब्द वीरता का जौहर दिखाने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ते,काश कर्म वीरता भी उतने ही निष्ठा से निभाते तो विकास की रेल तेज़ रफ़्तार से चलती।
कोई भी योजना को तभी बेहतर माना जा सकता है जब योजना का लाभ लाभार्थी को मिले, ऐसे तो हमारे राजनेता शब्द वीरता का जौहर दिखाने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ते,काश कर्म वीरता भी उतने ही निष्ठा से निभाते तो विकास की रेल तेज़ रफ़्तार से चलती।
इस योजना से संबंधित कोई सवाल पूछना या कोई जानकारी जनना चाहते हैं तो हमें कोमेंट बॉक्स में लिखे।