बुलंद शहर की घटना ने सबको चौका कर रखा दिया है की अब मॉस लीचिंग का शिकार पुलिस भी हो सकती है।अखलाक हत्या के जांच करता इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या ने स्थिति की भयानकता उजागर कर दी है। क्या होगा इसके बाद, मोदी और योगी शोक व्यक्त करेंगे, पुलिस सात तोपों की सलामी दाग सकती है। क्या पचास लाख रुपये से सुबोध की मौत का दर्द ढाका जा सकता है? क्या हो गया है इस देश को ? यह दक्षिड़पंथी धारा भारत को कहाँ तक बहा कर ले जायेगी।जब सियासत गाय गोबर और गोरख नाथ की राजनीति करेगी तो स्थिति इससे भी भयावह आने वाली है।
डॉ कुणाल सिंह
योगी जी कहते हैं की गाय भी जरुरी और इन्सान भी जरुरी। उन्होंने गाय की जिक्र पहले की और इन्सान का बाद में, यह बात प्रशासन को भी सन्देश था और अपने समर्थकों को भी,उदंड समाज द्वारा इसे छूट मान लिया। समाज में एक भ्रान्ति यह भी है की मुस्लिम कौम गौकशी करता है। अगर इस कौम के हाँथ गाय की रसी भी मिले तो इसका मतलब वह अवश्य ही हत्यारा होगा ऐसा समझ लिया जाता रहा है अगर गौ हत्या पाप है तो पुरे देश में और खाश कर यूपी में इस पर पूर्ण प्रतिबन्ध क्यों नहीं लगा दिया जाता? मान्यता प्राप्त बूचड़खाने में गौकशी जायज और अन्य में गौकशी नाजायज कैसे है। मतलब साफ़ है की यह सब वोट की राजनीती है और यह पिछले पांच साल से जारी है।
माबलीचिंग के कितने केश में हत्यारे मास्टर माइंड को जेल पहुचाया गया है। उलटे शासन की छूट ने इन्हें समाज में प्रतिष्ठित करने का काम किया है। इससे यही सन्देश गया है की ऐसा करने वाले अपने को कानून से ऊपर समझने लगे हैं। अच्छा हो की इस तरीके की वोट की राजनी बंद हो। संविधान के कानून में सभी बराबर है..