बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2019 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव के लिए शनिवार को उत्तर प्रदेश में गठबंधन का ऐलान किया।
संयुक्त के प्रेस कान्फ्रेंस की 10 महत्वपूर्ण बातें
- 38-38 सीटों पर लड़ेगी एसपी-बीएसपी - मायावती
- यूपी में बीजेपी ने बेइमानी से सरकार बनाई - मायावती
- मोदी-शाह की नींद उड़ाने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस - मायावती
- कांग्रेस के साथ एसपी-बीएसपी गठबंधन का कोई खास फायदा नहीं होता - मायावती
- हमारे वोट तो ट्रासंफर हो जाते हैं लेकिन कांग्रेस का वोट ट्रांसफर नहीं होता - मायावती
- बीजेपी के घमंड को हराने के लिए बीएसपी और एसपी को एक साथ आना पड़ा - अखिलेश यादव
- यूपी ने हमेशा देश को पीएम दिया है. हमे खुशी होगा कि यूपी से पीएम बने - अखिलेश यादव
- हमने 2 सीटें यानी अमेठी और रायबरेली को कांग्रेस के लिए छोड़ दिया - मायावती
- 2022 का विधानसभा चुनाव भी साथ लड़ेंगे - मायावती
- आने वाले समय में 2019 में हुए इस गठबंधन को एक प्रकार से नए राजनीतिक क्रांति का समय माना जायेगा - मायावती
मायवती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में 1993 के उस गेस्ट हाउस कांड को भी याद किया जिसमें उनपर हमला हुआ था। जिसके बाद से समाजवादी पार्टी और बीएसपी में दूरियां हो गई थी।
मायावती ने कहा,समाजवादी पार्टी के साथ 1993 में विधानसभा चुनावों में कांशीराम जी और मुलायाम सिंह जी के गठबंधन में चुनाव लड़ा गया और सरकार बनाई गई थी, बीजेपी की जहरीली, सांप्रदायिक और जातिवादी राजनीतिक से प्रदेश को दूर रखने की मंशा से ऐसा किया गया था, देश में दोबारा ऐसे हालातों के बीच बीएसपी ने एक बार फिर ऐसा करने की जरूरत महसूस की है। लखनऊ गेस्ट हाउस कांड से ऊपर उठकर जनहित में यह गठबंधन हो रहा है।
इस गठबंधन से दोनों ही दलों ने कांग्रेस को अलग रखा लेकिन कहा कि वे अमेठी और रायबरेली सीट पर उम्मीदवार नहीं उतारेंगे। इन सीटों का प्रतिनिधित्व क्रमश: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और संप्रग प्रमुख सोनिया गांधी करती हैं।गठबंधन ने दो अन्य सीटें छोटे दलों के लिए छोड़ी हैं।
संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में गठबंधन का ऐलान करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि इस गठबंधन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की नींद उड़ जाएगी।
गठबंधन में कांग्रेस को शामिल नहीं किये जाने के बारे में मायावती ने कहा कि उनके शासन के दौरान गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार में वृद्धि हुई ।
इस मौके पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि यह सपा—बसपा का केवल चुनावी गठबंधन नहीं है बल्कि गठबंधन भाजपा के अत्याचार का अंत भी है । 'भाजपा के अहंकार का विनाश करने के लिए बसपा और सपा का मिलना बहुत जरूरी था ।'