केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 19 को जम्मू-कश्मीर को लेकर बड़ा फैसला लिया है। गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य से आर्टिकल 370 हटाने का फैसला किया, जिसे राष्ट्रपति से मंजूरी भी मिल गई है। इसके साथ ही शाह ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक और जम्मू-कश्मीर आरक्षण दूसरा संशोधन बिल भी पेश किया।
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के मायने
- पहले जम्मू-कश्मीर में दोहरी नागरिकता होती थी, अब सारे भारत के नागरिक होंगे
- जम्मू-कश्मीर में धारा 356 लागू नहीं होती थी, अब धारा 356 लागू होगी
- पहले राज्यपाल शासन का अधिकार होता था, अब राष्ट्रपति शासन का अधिकार होगा
- राज्य में अल्पसंख्यकों को आरक्षण नहीं मिलता था, अब अल्पसंख्यकों को आरक्षण मिलेगा
सरकार के फैसले से जम्मू-कश्मीर में क्या बदलेगा?
- जम्मू-कश्मीर अब विशेष राज्य नहीं
- जम्मू-कश्मीर के लोगों की दोहरी नागरिकता खत्म
- जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा नहीं होगा
- आरटीआई और सीएजी जैसे कानून लागू होंगे
- बाहरी लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन संपत्ति खरीद पाएंगे
- राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान दंडनीय होगा
गृहमंत्री ने राज्यसभा में बताया कि राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 370 में बदलाव को मंजूरी दे दी है। गृहमंत्री ने बताया कि धारा 370 के सभी खंड राष्ट्रपति के मंजूरी के बाद लागू नहीं हैं।अब सिर्फ खंड एक बचा रहेगा. इस मुद्दे पर राज्यसभा में वोटिंग हो सकती है।
- केंद्र शासित प्रदेश होंगे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख: अमित शाह
- जम्मू-कश्मीर में होगी विधानसभा, जबकि लद्दाख में नहीं: अमित शाह
- राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 पेश
- राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का संकल्प पेश
इस फैसले के बाद अब जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन जाएगा। जम्मू-कश्मीर अब अलग राज्य नहीं होगा। कश्मीर से लद्दाख क्षेत्र अलग होगा। लद्दाख क्षेत्र को भी केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है।
बहुजन समाज पार्टी ने धारा 370 पर मोदी सरकार के इस प्रस्ताव का राज्सभा में समर्थन किया है।
इससे पहले कैबिनेट समिति की बैठक हुई थी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा विदेश मंत्री एस जयशंकर और सुरक्षा से जुड़े अधिकारी शामिल हुए थे। फिर कैबिनेट की बैठक हुई थी। हालांकि कैबिनेट में क्या हुआ, इसकी जानकारी देने के लिए होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस को टाल दिया गया था।
महबूबा मुफ्ती ने बताया लोकतंत्र में सबसे काला दिन
महबूबा मुफ्ती ने बताया लोकतंत्र में सबसे काला दिन
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने आज भारतीय लोकतंत्र में सबसे काला दिन बताया।उन्होंने कहा, "आज का दिन भारतीय लोकतंत्र के लिए सबसे काला दिन है। जम्मू-कश्मीर के नेतृत्व को 1947 में टू नेशन थ्योरी को खारिज करने का नुकसान उठाना पड़ा है। सरकार का 370 को हटाने का एकतरफा फैसला गैरकानूनी और असंवैधानिक है।"
Today marks the darkest day in Indian democracy. Decision of J&K leadership to reject 2 nation theory in 1947 & align with India has backfired. Unilateral decision of GOI to scrap Article 370 is illegal & unconstitutional which will make India an occupational force in J&K.— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) August 5, 2019
पीडीपी के राज्यसभा सांसद नज़ीर अहमद और एमएम फयाज़ ने विरोध स्वरूप संसद परिसर में संविधान को फाड़ने की कोशिश की वहीं एमएम फयाज़ ने कुर्ता फाड़ कर प्रदर्शन किया।
PDP's RS MPs Nazir Ahmad Laway&MM Fayaz protest in Parliament premises after resolution revoking Article 370 from J&K moved by HM in Rajya Sabha; The 2 PDP MPs were asked to go out of the House after they attempted to tear the constitution. MM Fayaz also tore his kurta in protest pic.twitter.com/BtalUZMNCo— ANI (@ANI) August 5, 2019