नई दिल्ली।। आज नेशनल मेडिकल कमीशन बिल 2019 डॉक्टरों के भारी विरोध के बाद राज्यसभा में पास कर दिया गया है।गुरुवार को बिल के विरोध में जहां 100 डॉक्टरों को आईपीसी की धारा 144 के उल्लंघन को गिरफ्तार किया गया, बाद में उन्हों छोड़ दिया गया।
इस बिल के विरोध में दिल्ली के लगभग सभी सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने हड़ताल पर जाने की बात कही है। राम मनोहर लोहिया, हिंदूराव, एम्स, सफ्दरजंग, जीटीबी के डॉक्टरों ने हड़ताल को तेज करते हुए इमरजेंसी और ओपीडी को बंद रखा।
इस बिल के पास होने पर केंद्रीय मंत्री हर्ष वर्धन ने कहा कि राज्यसभा में यह बिल पास हो गया है, इस बिल का फायदा एमबीबीएस के छात्रों और डॉक्टरों को होगा। उन्होने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार में यह बिल बहुत बड़े रिफॉर्म के रूप में गिना जाएगा।
Union Minister Dr Harsh Vardhan on National Medical Commission (NMC) Bill, 2019 passed in Rajya Sabha: This Bill will benefit the MBBS students and doctors. It will be listed as a major reform of the Narendra Modi government. pic.twitter.com/4nKnvmXSl3— ANI (@ANI) August 1, 2019
बनाया जाएगा मेडिकल एडवाजरी काउंसिल
केंद्र सरकार एक एडवाइजरी काउंसिल बनाएगी जो मेडिकल शिक्षा और ट्रेनिंग के बारे में राज्यों को अपनी समस्यां साथ ही सुझाव रखने का मौका देगी। इतना ही नहीं काउंसिल मेडिकल शिक्षा को किस तरह बेहतर बनाया जाए इसे लेकर भी सुझाव देगी।
मेडिकल की एक ही परिक्षा होगी
कानून के लागू होने के साथ ही पूरे देश के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए सिर्फ एक ही परीक्षा होगी। जिसका नाम होगा शनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET)।
मेडिकल प्रैक्टिस के लिए भी देना होगा टेस्ट
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद भी डॉक्टरों को मेडिकल प्रैक्टिस करने के लिए टेस्ट देना होगा। वह यदि इस परीक्षा को पास करते है तभी उन्हें मैडिकल प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस दिया जाएगा। इसी के आधार पर पोस्ट ग्रैजुएशन में एडमिशन किया जाएगा। इसपर डॉक्टरों का कहना है कि यदि कोई छात्र किसी वजह से एक बार एग्जिट परीक्षा नहीं दे पाया तो उसके पास दूसरा विकल्प नहीं है क्योंकि, इस बिल में दूसरी परीक्षा का विकल्प ही नहीं है।
खत्म होगी मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया
जैसे ही ये कानून मुख्यधारा में आएगा उसी के साथ मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया खत्म हो जाएगा। जिससे अधिकारियों कर्मचारियों की सेवाएं भी खत्म हो जाएंगी। हालांकि, उन्हें तीन महीने की सैलरी और भत्ते दिए जाएंगे। इसके बाद नेशनल मेडिकल कमीशन बनाया जाएगा। यहां बता दें कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अफसरों की नियुक्ति चुनाव के जरिए की जाती थी। लेकिन, मेडिकल कमीशन में सरकार द्वारा गठित एक कमेटी अधिकारियों का चयन करेगी।
निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस तय होगा
नेशनल मेडिकल कमीशन ही तय करेगा की निजी मेडिकल संस्थानों की फीस कितनी होगी। हालांकि, वह ऐसा बस 40% सीटों के लिए ही करेगा। 50 फीसदी या उससे ज्यादा सीटों की फीस निजी संस्थान खुद तय कर सकते हैं।
आयुर्वेद-होम्योपैथी के डॉक्टर भी करेंगे एलोपैथिक इलाज
बिल के तहत एक ब्रिज कोर्स कराया जाएगा। जिसके बाद आयुर्वेद, होम्युपेथी डॉक्टर भी एलोपैथिक इलाद कर पाएंगे। आईएमए इसी का खुलकर विरोध कर रहा है।
झोला छाप 6 महीने का कोर्स कर, कर सकेंगे प्रैक्टिस ?
द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार डॉक्टरों का यह भी कहना है कि इस बिल में मौजूदा धारा-32 के तहत करीब 3.5 लाख लोग जिन्होंने चिकित्सा की पढ़ाई नहीं की है उन्हें लाइसेंस मिल जाएगा। इससे लोगों की जान खतरे में पड़ेगी। बिल का विरोध कर रहे सुभाष झा ने कहा, इस बिल के मुताबिक अब आयुर्वेद, यूनानी डॉक्टर, नर्स, फार्मासिस्ट और पैरामेडिकल स्टाफ भी एलोपैथिक दवाओं के साथ प्रैक्टिस करने का सर्टिफिकेट मिल जाएगा।
वहां मौजूद अन्य डॉक्टरों ने कहा कि फिर पांच साल डॉक्टरी पढ़ाई करने की क्या जरूरत है? जब बराबरी का हक यूनानी, आयुर्वेद और झोला छाप को दिया जा रहा है। बता दें कि इस बिल के पास होने के बाद झोला छाप डॉक्टरों को भी मिल जाएगी प्रशिक्षित डॉक्टरों की उपाधि।
मेडिकल रिसर्च को दिया जाएगा बढ़ावा
नेशनल मेडिकल कमीशन इस बात पर ध्यान देगा कि चिकित्सा शिक्षा में अंडर-ग्रैजुएट और पोस्ट-ग्रैजुएट दोनों स्तरों पर उच्च कोटि के डॉक्टर आएं। साथ ही मेडिकल प्रोफेशनल्स को इस बात के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा की वह नए मैडिकल रिसर्च करें।