झारखंड पुलिस ने सरायकेला-खरसावां में तबरेज़ अंसारी की मॉब लिंचिंग मामले में सभी 13 आरोपियों के खिलाफ लगे हत्या के आरोप (आईपीसी की धारा 302) को धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) में तब्दील कर दिया गया है।तबरेज़ अंसारी को भीड़ ने चोरी के आरोप में पीटा था जिसकी वजह से जेल में उसकी मौत हो गयी थी। इस केस में पुलिस ने 29 जुलाई को चार्जशीट दाखिल की थी।
अब्दुल रशीद
तो क्या तबरेज़ दिल का मरीज़ था और उसकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई!
17 जून की रात तबरेज़ और दो अन्य लोगों पर गांव में एक मकान में चोरी के इरादे से घुसने का आरोप लगाया गया। इसके बाद, मकान में रहने वाले लोगों ने शोर मचाया और भीड़ ने तबरेज़ को पकड़ लिया तथा बेरहमी से उसकी पिटाई की।
घटना की सुबह पुलिस मौके पर पहुंची और ग्रामीणों की शिकायत पर तबरेज़ को जेल ले गई। पिटाई के दौरान लगी चोटों के कारण उसकी तबियत बिगड़ने पर उसी दिन उसे सदर अस्पताल ले जाया गया। बाद में उसे जमशेदपुर के टाटा मेन हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां उसे 22 जून को मृत घोषित कर दिया गया। घटना की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया और कर्तव्य में लापरवाही बरतने को लेकर दो पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया।
पुलिस ने मामले में 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया था,जबकि दो पुलिसकर्मी भी सस्पेंड हुए थे। तबरेज़ के भाई ने झारखंड सरकार से अपील की है कि आरोपियों के खिलाफ हत्या के तहत केस दर्ज किया जाए। उन्होंने कहा,'तबरेज़ को रात भर पीटा गया था और अगले दिन उसकी मौत हो गई थी। एफआईआर में 302 लगाया गया था,जिसे अब धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) में तब्दील कर दिया गया है।
इस मामले में सरायकेला खरसावां जिले के पुलिस अधीक्षक कार्तिक एस ने कहा, ''हमने संबद्ध अधिकारियों की राय लेने के बाद आईपीसी की धारा 302 को 304 में तब्दील कर दिया है। संबद्ध अधिकारी भी तबरेज़ अंसारी की लिंचिंग (भीड़ हत्या) के चलते मौत होने के बारे में किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाए थे। उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किये गए 13 लोगों में से दो लोगों के खिलाफ आरोपपत्र एक स्थानीय अदालत में दाखिल किया गया और जल्द ही 11 आरोपियों के खिलाफ जांच पूरी की जाएगी।
घटना की सुबह पुलिस मौके पर पहुंची और ग्रामीणों की शिकायत पर तबरेज़ को जेल ले गई। पिटाई के दौरान लगी चोटों के कारण उसकी तबियत बिगड़ने पर उसी दिन उसे सदर अस्पताल ले जाया गया। बाद में उसे जमशेदपुर के टाटा मेन हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां उसे 22 जून को मृत घोषित कर दिया गया। घटना की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया और कर्तव्य में लापरवाही बरतने को लेकर दो पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया।
पुलिस ने मामले में 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया था,जबकि दो पुलिसकर्मी भी सस्पेंड हुए थे। तबरेज़ के भाई ने झारखंड सरकार से अपील की है कि आरोपियों के खिलाफ हत्या के तहत केस दर्ज किया जाए। उन्होंने कहा,'तबरेज़ को रात भर पीटा गया था और अगले दिन उसकी मौत हो गई थी। एफआईआर में 302 लगाया गया था,जिसे अब धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) में तब्दील कर दिया गया है।
इस मामले में सरायकेला खरसावां जिले के पुलिस अधीक्षक कार्तिक एस ने कहा, ''हमने संबद्ध अधिकारियों की राय लेने के बाद आईपीसी की धारा 302 को 304 में तब्दील कर दिया है। संबद्ध अधिकारी भी तबरेज़ अंसारी की लिंचिंग (भीड़ हत्या) के चलते मौत होने के बारे में किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाए थे। उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किये गए 13 लोगों में से दो लोगों के खिलाफ आरोपपत्र एक स्थानीय अदालत में दाखिल किया गया और जल्द ही 11 आरोपियों के खिलाफ जांच पूरी की जाएगी।
तो क्या,इसका मतलब यह है कि तबरेज़ दिल का मरीज़ था और उसकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुआ,और जिन लोगों को पुलिस ने गिरफ़्तार किया है वे सभी निर्दोष हैं?
जिन लोगों ने ये किया है सभी गुंडे हैं।
11 सितंबर को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी से जब टाइम्स नाउ के रिपोर्टर ने झारखंड के चर्चित तबरेज़ अंसारी की मॉब लिंचिंग मामले में पूछा तो उन्होंने कहा कि‘‘अभी तक उन्होंने ऐसी कोई खबर देखी ही नहीं है।’’इसके बाद जब पत्रकार ने इस मामले पर कुछ कहने के लिए कहा तो नकवी ने कोई भी बयान देने से साफ मना कर दिया।
यह कोई पहली बार नहीं है जब नकवी मॉब लिंचिंग पर बात करने से बचते नजर आए । 21 जुलाई को इंडिया टुडे से बात करते हुए मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा था कि ज्यादातर मॉब लिंचिंग के केस ‘मनगढ़ंत और फर्जी’ होते हैं। नकवी ने ये बात समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां के उस बयान के जवाब में कही थी जहां खां ने कहा था कि ‘मुसलमानों को पाकिस्तान न जाने की सजा मिल रही है।’
साल 2017 में राजस्थान के अलवर में दिन दहाड़े पहलू खान को गोकशी के शक में भीड़ ने लिंच कर के मार दिया था। इसका वीडियो भी वायरल हुआ था। नकवी ने संसद में कहा,‘‘जो खबरें आ रही हैं, ऐसी कोई घटना नहीं हुई है।’’हालांकि एक दिन बाद नकवी ने कबूल किया और कहा ‘‘ये एक संवेदनशील मामला है। राजस्थान सरकार जरूरी कदम उठा रही है। जिन लोगों ने ये किया है सभी गुंडे हैं। उनको हिंदू या मुसलमान की तरह न देखा जाए।’’उस समय राजस्थान मे भाजपा की सरकार थी।
उम्मीद करते हैं तो सवाल पूछने की हिम्मत भी जुटाइए।
1996 में उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके पुलिस सुधार की मांग की. याचिका में उन्होंने अपील की थी कि कोर्ट केंद्र व राज्यों को यह निर्देश दे कि वे अपने-अपने यहां पुलिस की गुणवत्ता में सुधार करें और जड़ हो चुकी व्यवस्था को प्रदर्शन करने लायक बनाएं।
इस याचिका पर न्यायमूर्ति वाईके सब्बरवाल की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई करते हुए 2006 में कुछ दिशा-निर्देश जारी किए। न्यायालय ने केंद्र और राज्यों को सात अहम सुझाव दिए। लेकिन दशक बीत जाने के बाद भी दिखावे के अलावा अब तक कुछ विशेष बदलाव नहीं हुआ।जब तक आईपीएस राजनीतिक नियंत्रण से मुक्त नहीं होगा तब तक ऐसी घटनाओं में निष्पक्ष जांच और न्याय की उम्मीद बेईमानी है। उम्मीद करते हैं तो सवाल पूछने की हिम्मत भी जुटाइए। क्योंकि जब आप सवाल पूछेंगे तभी जागरूक नागरिक बन पाएंगे,और तब न केवल सुप्रीम कोर्ट के पुलिस सुधार के लिए अहम सुझाव लागू हो जाएगा बल्कि तमाम वह सब लफ़्फ़ेबाजी ख़त्म हो जाएगा जिनके सहारे सत्ता के शिखर पर पहुंच कर आम जनता के आवाज़ को दरकिनार कर दिया जाता है।