नारों वादों के शोर और मंदी की मार से बेहाल आमजनता के सामने वह ख़बर आ ही गई, जिसकी मंदी के इस मौसम में सबसे ज्यादा आशंका थी।सब्जियों के दाम चढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति की दर दिसंबर 2019 में जोरदार तेजी के साथ 7.35 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई है। यह इसका पांच साल से अधिक का सबसे ऊंचा स्तर है और भारतीय रिजर्व बैंक की दृष्टि से यह सामान्य स्तर को लांघ चुकी है।
अब्दुल रशीद
रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरें घटाने की संभावना महंगाई दर के 4 फीसदी के आसपास रहने पर होती है ,लेकिन अभी महंगाई दर RBI के पैमाने से बहुत आगे निकल गई है। ऐसे में रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों को घटाने की संभावना दूर दूर तक नहीं दिखाई देता है। RBI जब 4 फरवरी को क्रेडिट पॉलिसी का ऐलान करेगा तब बैंकों को लेंडिंग रेट में कोई राहत मिलेगा इसकी संभावना कम है। ऐसे में जब बैंकों को सस्ता पैसा नहीं मिलेगा तो वो आगे भी अपने ग्राहकों को सस्ता लोन नहीं देंगे। ऐसा हुआ तो मंदी के चक्रव्यू में आम आदमी का दिनचर्या और मंहगा हो जाएगा।
सरकार ने 2019-20 के लिए पहला एडवांस इस्टिमेट जारी किया, जहां जीडीपी की वृद्धि 5 प्रतिशत थी। इसका मतलब है कि 2008-09 के संकट के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे धीमी गति से बढ़ रही है। हालांकि, पूरे वर्ष के लिए 5 प्रतिशत की दर से, अनुमान अक्टूबर 2019-मार्च 2020 की अवधि में बहुत कम रिवकरी है क्योंकि पहले छह महीनों में वृद्धि 4.8 प्रतिशत औसत थी।केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया है। अब यह केंद्रीय बैंक के लक्ष्य से कहीं अधिक हो गई है।
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर, 2018 में 2.11 प्रतिशत और नवंबर, 2019 में 5.54 प्रतिशत थी।
- एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति बढ़कर 14.12 प्रतिशत पर पहुंच गई। दिसंबर, 2018 में यह शून्य से 2.65 प्रतिशत नीचे थी। नवंबर, 2019 में यह 10.01 प्रतिशत पर थी।
- दालों और उससे जुड़े उत्पादों की मुद्रास्फीति दिसंबर माह में 15.44 प्रतिशत रही जबकि मांस और मछली की मुद्रास्फीति करीब दस प्रतिशत रही।
आम जनता को प्याज कई महीने तक 100 रुपए किलो के पार कर रुलाता रहा। अब भी बाजार में कई गुना महंगा बिक रहा है। प्याज की तरह टमाटर भी लाल है। अमेरिका और ईरान के बीच तनाव यदि पेट्रोलियम के दर पर असर किया और पेट्रोलियम भी महंगे हुए तो महंगाई और बढ़ेगी।सातवें आसमान पर पहुंचते मंहगाई दर असर आम आदमी के किचन का बजट बिगाड़ कर दिनचर्या का स्वाद आगे चलकर और भी कड़वा कर सकता है।