धर्मेद्र शाह
ओबीसी महासभा व अन्य सहयोगी संगठनो द्वारा 13 जनवरी 2020 को मध्यप्रदेश बंद का आवाहन पर सिंगरौली जिला के सरई तहसील के अंतर्गत विभिन्न संगठनों द्वारा ओबीसी एसटी एससी माइनॉरिटी संयुक्त मोर्चा के सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ सरई बाजार में ओबीसी अधिकार रैली निकालकर राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री ,गृहमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौपे।
ज्ञापन के प्रमुख मांग रहे।
- मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 54℅विधानसभा में विशेष सत्र बुलाकर ओबीसी की जातिगत जनगणना कराये जाने हेतू प्रस्ताव पारित कर केंद को भेजे।
- मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 54℅से अधिक संख्या वाले पिछड़े वर्ग को दिए गये 27℅आरक्षण के विरूद्व प्रस्तुत याचिकाओं मे म.प्र. महाधिवक्ता द्वारा गैर जिम्मेदारी रवैए के चलते शासन का जबाव समय पर मजबूती से ना दिए जाने के कारण पूर्व में मैंडिकल परीक्षा और अब MPPSC परीक्षा में भी 27%आरक्षण पर संदेह का स्थिति बनी हुई है।
- कृप्या वर्तमान मेमहाधिवक्ता को हटाते हूए OBC/SC/ST के वरिष्ठ अधिवक्ता की नियुक्ति कर न्यायालय मे शासन का पक्ष मजबूती से रखा जाए।
- संविधान के अनु.16(4) के तहत मध्यप्रदेश में 54%से अधिक पिछड़ा वर्ग समाज को सँख्या के अनुपात में MPPSC,शासकीय,अशासकीय सहित समस्त क्षेत्रो में 54%प्रतिनिध्व(आरक्षण) लागू किया जाए।
- पिछड़ा बर्ग के पिछड़े,अतिपिछड़े कर्मचारी-अधिकारियो के साथ सामान्य वर्ग अधिकारियों द्वारा भेदभाव पूर्ण रवैये के कारण शोषण,अन्याय,अत्याचार की शिकायते बढ़ती जा रही है जिस पर रोक हेतू कठोर कदम उठाए जाए।
- ओबीसी बेरोजगार युवक-युवतियों के लिये न्यूनतम आवेदन शुल्क,रेल्वे भत्ता जैसी सुविधायें दी जायें जिससे उनका समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सके।
- किसानो की वर्तमान उपज मूल्य बढ़ाकर तीन गुना किया जाए ।
- ओबीसी छात्रवृति आयसीमा बढ़ाकर दस लाख प्रतिवर्ष की जाए।
इस ज्ञापन पत्र के माध्यम से संगठन सरकार से जनगणना 2021 में ओबीसी की जातिगत जनगणना कराए जाने की मांग करता है,
विदित हो कि जनगणना 2011 में सामाजिक संगठनों के आग्रह के बाद तत्कालीन सरकार ने जाति आधारित जनगणना करने के लिए सहमति व्यक्त की थी लेकिन इसे सोशल आर्थिक सर्वेक्षण के नाम पर विलोपित कर दिया गया।पूर्व में केंद्रीय मंत्री द्वारा अगस्त 2018 में मीडिया को बयान दिया गया कि "वर्तमान मापदंडों में ओबीसी श्रेणी शामिल नहीं है ओबीसी वर्ग के लिए समय आने पर डाटा एकत्र करने की परिकल्पना की जाएगी"
लेकिन सरकार द्वारा तैयार वर्तमान जनगणना प्रश्नावली फॉर्म में ओबीसी की जातिगत जनगणना हेतु इस बार भी कोई कॉलम नहीं दिया गया जो कि संपूर्ण ओबीसी समाज के साथ एक बार पुणे सुनियोजित अन्याय है।
पिछली बार ओबीसी वर्ग की जाति आधारित जनगणना 89 साल पहले 1931 में ब्रिटिश सरकार द्वारा आयोजित की गई थी इसके बाद से देश में अभी तक कोई ओबीसी वर्ग का डाटा उपलब्ध नहीं है।वर्तमान सरकार की मंशा पर संपूर्ण प्रश्न खड़ा होता है कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति से संबंधित कोर्स तो जनगणना के 28 मांगों में शामिल किया गया।लेकिन इसके वर्तमान स्वरूप में ओबीसी वर्ग के लिए कोई श्रेणी को शामिल नहीं किया है जो कि संविधान और उसकी धारा 340 के खिलाफ है।
हम विविधता के साथ एक लोकतांत्रिक देश में हैं लोकतंत्र में हरनीति बहुमत के आधार पर काम करती हेल्प लोकतंत्र की सफलता के लिए विभिन्न समुदायों वर्ग की संख्या गणना और उसका रिकॉर्ड होना चाहिए ताकि संख्या के आधार पर न्याय दिया जा सके जिस कारण ही हमारे देश में वर्तमान ओबीसी वर्ग की जातियों के साथ असंतुलन और अन्याय हो रहा है।
यदि सरकार द्वारा 2021 में ओबीसी वर्ग की सामाजिक आर्थिक जातिगत जनगणना कराई जाती है तो देश के ओबीसी समाज की जातिगत समुदाय की सही संख्या इज्जत होगी जिससे उनको लोकतांत्रिक सुविधाएं दी जा सकती है जो कि ओबीसी वर्ग के सामाजिक आर्थिक शैक्षणिक और राजनीतिक विकास की योजना बनाने और उनके प्रतिनिधित्व के उचित क्रियान्वयन के लिए मददगार साबित होगी साथ ही जाति वर्ण को शिक्षण संस्थानों नौकरियों और अन्य क्षेत्रों में प्रवेश मे अपना नियोजित हिस्सा प्राप्त करने में मदद मिलेगी जो कि देश के समग्र विकास में अहम योगदान निभाएंगे। कृपया जनगणना 2021 के प्रश्नावली धाम में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कॉलम छोड़ते हुए ओबीसी की जाति आधारित जनगणना के लिए शामिल कर अंतिम रूप दें।
उपरोक्त मांगो को लेकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौपे कार्यक्रम में मुख्य रूप से नन्दकिशोर पटेल(राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य मूलनिवासी संघ),लालता प्रसाद जायसवाल(प्रदेश सचिव-पिछड़ा समाज पार्टी यू. मध्यप्रदेश),सुनील कुमार जायसवाल(संम्भागीय प्रमुख-संयुक्त पिछड़ा वर्ग मोर्चा),ललित जायसवाल,बीरबल सिंह,रतिभान प्रसाद,भागवत प्रसाद जायसवाल,विजय कुमार,अर्जुन दास साहूँ,रामलखन,रामकृपाल जायसवाल,महेश कुमार आदि सैकड़ो कार्यकर्ता उपस्थित रहे।