भोपाल से मोकर्रम खान
मै एक बार ट्रेन से नागपुर से भोपाल आ रहा था । बैतूल स्टेशन पर चेहरा ढके हुए एक युवती आ कर मेरी बर्थ पर बैठ गई । इटारसी में ट्रेन रुकी तो एक युवक आ कर उस युवती की बगल में बैठ गया और दोनों खूब घुल मिल कर बातें करने लगे। लगभग एक घंटे के बाद युवक फ्री हो कर मेरी तरफ़ मुखातिब हुआ।
मैं ने उस से पूछा कि यह युवती तुम्हारी कौन है ?
उस ने कहा, फ्रेंड है, जस्ट फ्रेंड नाट गर्ल फ्रेंड, गर्लफ्रेंड जबलपुर में रहती है, अभी वहीं से आ रहा हूं। मैंने कहा, अच्छा तो इस लड़की से सिर्फ दोस्ती है, शादी जबलपुर वाली गर्लफ्रेंड से करोगे ? उस ने कहा नहीं शादी तो उस से भी नहीं करूंगा क्योंकि वह दूसरी जाति की है।
मैं ने कहा जब शादी किसी तीसरी से करना है तो इन दोनों के साथ क्यों घूमते हो ? इनकी बदनामी होगी,इनकी शादी होने में परेशानी होगी।
उसने उत्तर दिया कि सर आजकल हर जगह यही माहौल है,हर लड़के की गर्लफ्रेंड्स है और हर लड़की के ब्वॉयफ्रेंड।
मैं ने पूछा कि अच्छा यह बताओ कि जिस लड़की से भी शादी करोगे, यदि यह पता लगे कि इसका कभी कोई ब्वॉयफ्रेंड भी था या यह किसी की गर्लफ्रेंड रह चुकी है तो उसे पत्नी के रूप में स्वीकार करोगे या नहीं ?
उसने कहा किसी हालत में नहीं। मुझे पत्नी तो ऐसी चाहिए जिसका कभी किसी से अफेयर न रहा हो, किसी ने उसे छुआ भी न हो।
मैं ने कहा यह कैसे संभव है,तुम खुद ही बता रहे हो कि आजकल सभी लड़कों की गर्लफ्रेंड्स और सभी लड़कियों के ब्वॉयफ्रेंड हैं फिर तुम्हें ऐसी पत्नी कैसे मिल सकती है।
उसने कहा, नहीं सर, शादी तो मैं ऐसी लड़की से ही करूंगा जो बिलकुल 100% कुंवारी हो, जिस के बारे में पूरे जीवन में कभी भी यह सुनने को ना मिले कि इसकी किसी पुरुष से कभी दोस्ती थी।
आशा है सामाजिक बंधन मुक्त स्वच्छंद विचरण में विश्वास रखने वाली किशोरियों, युवतियों तथा महिलाओं को इस घटना से अपने लिये उचित मार्ग चुनने में थोड़ी आसानी होगी।
लेखक - मोकर्रम खान पत्रकार, पूर्व निजी सचिव केंद्रीय मंत्री (स्व दलबीर सिंह जी)