रगों में खून के साथ दौड़ रहा है जीवन बचाने का जज्बा
- ब्लड डोनर दिलीप
रेणुकूट।।जी हां इसे सच साबित कर रहे है रक्तदाता समूह से जुड़े लोग, देवरिया के रहने वाले दिनेश पाल जिनका 12 वर्षीय बेटा सनी पाल गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती है जिसको आपरेशन के लिए दो यूनिट खून की जरूरत थी। एक यूनिट दिनेश पाल द्वारा दिया गया दूसरा यूनिट कोरोना की बचाव के लिए लगाए गए कर्फ्यू व लॉक डाउन की वजह से रक्त की व्यवस्था नही हो पा रही थी। दिनेश पाल द्वारा इसकी सूचना ब्लड ग्रुप से जुड़े होने के कारण अपने परिचित रॉबर्ट्सगंज सोनभद्र के पत्रकार व अधिवक्ता विवेक पांडेय को दी। विवेक पांडेय ने हिंडालको रेणुकूट के प्रयास रक्तदाता समूह एक मुहीम जिंदगी बचाने की संस्थापक सचिव ब्लड डोनर दिलीप से बात कर मदद मांगी।
किशन पाण्डेय
दिलीप ने तुरन्त गोरखपुर के रक्तदाता साथी व असिस्टेंट प्रोफेसर अमर सिंह से सम्पर्क कर अवगत कराया। अमर सिंह ने पहले मेडिकल कॉलेज के आस पास के साथियो से सम्पर्क किया लेकिन लॉक डाउन व कर्फ्यू के चलते कोई तैयार नही हुआ फिर उन्होंने बातचीत के दौरान बताया कि आज 6 दिन बाद रक्तदान के चलते घर से बाहर निकला और तरंग सिनेमा से 12 किलो मीटर के दूरी तय कर मेडिकल कॉलेज पहुच कर इंसानियत और मानवता को जिंदा रखते हुए एक अपरिचित के लिए रक्तदान कर 34 वा जीवन बचाने का कार्य किया। इसी लिए रक्तदानियों को कहा जाता है देकर अपना रक्त बनाते है खून के रिश्ते। तभी तो लोग कहते है आ गए फरिश्ते।
प्रयास सचिव ने बताया कि इस केस में उरई के साथी राजीव गोयल का भी सहयोग सराहनीय रहा तथा सेवा का मौका देने के लिए विवेक पांडेय को धन्यवाद प्रयास सचिव ने आमजनों से एक आग्रह भी कि
बड़े दौर गुजरे हैं जिंदगी के...यह दौर भी गुजर जायेगा,थाम लो अपने पांव को घरों में..कोरोना भी थम जाएगा।।