अब्दुल रशीद
रमजान नमाज, दुआ और ख़ैरात का महीना है।इस्लामी कैलेंडर का सबसे पाक महीना रमजान में परिवार और समुदाय में एकजुटता और गहरी हो जाती है। लेकिन कोरोना वायरस संकट के समय मस्जिदों में सार्वजनिक नमाज नहीं हो रही है। पूरे मुस्लिम जगत में कोरोना वायरस ने रमजान के शुरू होने से पहले नई स्तर की चिंता पैदा कर दी है।आमतौर पर रमजान में रिश्तेदारों और पड़ोसियों की इफ्तार के दौरान मेहमाननवाजी किया जाता है, लेकिन इस साल लोगों में डर है,और यह सही भी है।
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि
रमजान का पवित्र महीना शुरू हो रहा है। ऐसे में कोरोना के बीच सभी धार्मिक नेताओं, धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने मिलकर मुस्लिम समुदाय से अपील की है कि वे प्रार्थना, इफ्तार और अन्य रीति-रिवाजों को घर के भीतर ही निभाएं और सामाजिक दूरी बनाए रखें।
हज़्जिन समा भारती कहती हैं की,
हम उनके घर नहीं जाएंगे, वो हमारे घर नहीं आएंगे,कोरोना वायरस के कारण हर कोई डरा हुआ है, घर में रह कर इबादत करूंगी और अल्लाह से दुआ करूंगी के इस बला से दुनियां को जल्द महफूज़ करें। मैं यह अपील करती हूँ के लोग अपने घरों में रहें,लॉक डाउन का पालन करते हुए इबादत करें।
81 साल के हाजी मोहम्मद सलीमुल्लाह अंसारी कहते हैं की,
"मैं तरावीह की नमाज के बिना रमजान की सोच नहीं सकता हूं।” इफ्तार के बाद मस्जिदों में सब लोग साथ तरावीह की नमाज पढ़ते हैं। वे कहते हैं,देश में कोरोना वायरस के महामारी को देखते हुए लोगों को इकट्ठा ना होने और मेल-मिलाप ना करने को फरमान जारी है,और इस पर अमल करना हर हिंदुस्तानी का फर्ज़ है। हम सभी को घर में रहकर इबादत करना चाहिए।
सन शाइन स्कूल के डायरेक्टर मोबिन अंसारी ने कहा,
पूरी दुनिया एक बहुत ही बुरे दौर से गुजर रही है। ऐसे वक्त में हमें बहुत समझदारी और संयम से काम लेना होगा। इस साल रमजान को यादगार बनाना होगा। खुदा ने हमें एक मौका दिया है कि हम अपने घरों को ही मस्जिद में तब्दील करें यानी घर पर ही रह कर इबादत करें। हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हमारे पड़ोसी और जानने वाले लोग भूखा ना रहे बुनियादी जरूरतें पूरी होती रहे। हमारा इस्लाम भी यही सिखाता है।
समी अहमद जो अपने पूरे परिवार से हजारों किलोमीटर दूर रह कर व्यापार करते हैं,कहते हैं,
बाजारों से रौनक गायब है।लोग दुकानों में नहीं जाना चाहते हैं। काम धाम उतना बेहतर नहीं है,घर से दूर रहकर काम करने वाले लोग अपने घरों को लौटना चाहते हैं, लेकिन कोरोना महामारी से डरे हुए हैं,और लॉक डाउन के पाबंद हैं। यह अब तक का सबसे बुरा साल है।तमाम सरकारी बंदिशों को मानते हुए रोजा रखेंगें और अल्लाह की इबादत अपने कमरे में रह कर करेंगे।