कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सुबह जैसे ही एलान किया कि प्रदेश कांग्रेस कमेटियां अप्रवासी मजदूरों का किराया देंगी, सबको लगा कि कांग्रेस ने राजनीतिक तौर पर इस मुद्दे पर अच्छा कदम उठाया है।दूसरी तरफ प्रवासियों से रेल का किराया वसूलने पर केंद्र सरकार की चौतरफा आलोचना के बाद बीजेपी नेताओं ने इसपर सफाई देते हुए कहा कि मजदूरों से किराया नहीं वसूला जा रहा है। सुब्रमण्यम स्वामी और संबित पात्रा ने दावा किया कि केंद्र सरकार मजदूरों के रेल टिकट की कीमत का 85% खर्च उठा रही है, लेकिन हकीकत में ये सिर्फ तकनीकी बात है।
85% किराया देने का पूरा सच !Congress President Smt. Sonia Gandhi's heartfelt message on the safe return of all migrant workers & labourers to their homes and the Party's resolve to ensure the same. #CongressForIndia pic.twitter.com/ZZt0VBQWPl— Congress (@INCIndia) May 4, 2020
बीबीसी हिन्दी के रिपोर्ट के अनुसार 85% किराया देने का पूरा सच मुख्य तीन पॉइंटो में समझिए,पहला,जानकारों के अनुसार रेल किराए में सब्सिडी तो पहले से दी जाती रही है। सरकार का हमेशा से दावा रहा है कि यात्रियों को टिकट पर सब्सिडी वैसे भी दी जाती है।
दूसरा, आम तौर पर आप कभी टैक्सी बुक करते हैं और ऐसी जगह जाते हैं जहां से वापसी में उन्हें कोई और सवारी ना मिले, तो टैक्सी वाला आपसे आने और जाने दोनों का किराया वसूलता है। ठीक उसी तरह रेलवे जब किसी राज्य सरकार या किसी पार्टी विशेष की अपील पर विशेष ट्रेन चलाती है तो जहां से जहां तक ट्रेन खाली जाती है तो उसका किराया भी अमूमन वसूला जाता है। लेकिन कोरोना संकट में रेलवे ने अपना ये किराया छोड़ दिया है।
तीसरी बात ये है कि सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए इन ट्रेनों में क्षमता के हिसाब से यात्री नहीं बैठाए जा रहे हैं। 1 मई को सबसे पहले तेलंगाना से जो ट्रेन चली थी। वो 24 डिब्बे की ट्रेन थी. जिससे 1200 मज़दूर अपने गृह राज्य पहुंचे थे। यानी हर डिब्बे में करीब 50 मज़दूर बैठे थे, जबकि इन डिब्बों में करीब 72 लोग बैठ सकते हैं। इसका मतलब इन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में रेलवे ने ये नुकसान भी खुद उठाया।
कुल मिलाकर इस श्रमिक ट्रेन को खाली भेजने का चार्ज नहीं लिया जा रहा, सब्सिडी टिकट इसपर भी लागू है और ट्रेन अपनी पूरी कैपेसिटी में भरकर नहीं चल रही है। इन तीनों को मिलाकर रेलवे का दावा है कि वो 85% सब्सिडी दे रही है।
मजदूरों से 76 लाख रूपए का किराया वसूला गया।
दैनिक भास्कर ने एक छापी है जिसमें बताया गया है कि सूरत से चली 9 ट्रेनों में गए करीब 11 हजार मजदूरों से 76 लाख रूपए का किराया वसूला गया। इस खबर को स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव ने ट्वीट भी किया है।
Here is a story of moral cussedness, political apathy and spin doctoring.— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) May 5, 2020
Migrant workers are made to pay for their evacuation.
Govt passes the buck to state governments.
Ruling party uses spins & fakes to wriggle out.
This thread exposes the truth.
1/n#FreeTrains4Workers pic.twitter.com/iPz0by0xbb