अब्दुल रशीद
देश में तालाबंदी एक बार फिर 17 मई तक बढ़ गया। तालाबंदी 3.0 की सभी रियायतों में से अगर कोई छूट चर्चा का केंद्र बनी हुई है तो वह है शराब की दुकानों को खुलने की अनुमति। आलम ये रहा कि सोमवार को 4 मई को जैसे ही ये छूट लागू हुई। तो सुबह से ही शराब की खरीदारी के लिए लंबी-लंबी लाइनें लग गईं। लेकिन दुकानों के बाहर जो कुव्यवस्था देखने को मिली उससे ये स्पष्ट हो गया कि इन्हें खोलने के पहले प्रशाशन इन्हें खोलने के नतीजे का पूरा अनुमान लगाने में असफल रहा।
राज्यों ने इस छूट के ऐलान के समय कोई विरोध नहीं जताया। जाहिर सी बात थी कि जैसे ही शराब की दुकानें खुलेंगी तो हंगामा और भीड़भाड़ देखने को मिल सकती है। लेकिन फिर भी किसी राज्य ने इस छूट को देने से मना नहीं किया। इसका कारण राज्यों के राजस्व से जुड़ा है।मध्य प्रदेश में 5 मई से शराब की दुकानें खुलेगा लेकिन इंदौर, भोपाल, उज्जैन जैसे ज्यादा संक्रमण वाले इलाकों में नहीं खुलेंगी।
भारत विश्व में शराब के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से है। माना जाता है कि पूरी दुनिया में जितनी शराब बनती है उसके पांचवें हिस्से की भारत में ही खपत हो जाती है। अनुमान है कि 2019 में भारत में 6.23 अरब लीटर शराब की खपत हुई थी और 2022 तक यह आंकड़ा 16 अरब लीटर को भी पार कर लेगा।
2019 में RBI ने ‘State Finances: A Study of Budgets of 2019-20’ नाम की एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। इसमें राज्यों के राजस्व के बारे में जानकारी दी गई थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर राज्यों के अपने राजस्व का 10-15% अल्कोहल पर एक्साइज ड्यूटी से आता है। ये हिस्सा काफी बड़ा है। यहां तक कि सेल्स टैक्स (जो अब GST है) के बाद राज्यों की कमाई का सबसे बड़ा जरिया अल्कोहल पर एक्साइज ड्यूटी है। इसलिए राज्य शराब को GST के दायरे से बाहर रखना चाहते हैं।
शराब पर एक्साइज ड्यूटी से होने वाली कमाई
RBI की रिपोर्ट का कहना है कि 2019-20 में सभी 29 राज्य और दो केंद्र शासित प्रदेशों ने शराब पर एक्साइज ड्यूटी से होने वाली कमाई का बजट 1.75 करोड़ से ज्यादा का रखा था। ये बजट 2018-19 में हुई 1,50,657.95 करोड़ की कमाई से 16% ज्यादा था। रिपोर्ट के आंकड़ों से अगर अनुमान लगाया जाए तो पता चलता है कि 2018-19 में औसतन राज्यों ने एक महीने में 12,500 करोड़ एक्साइज ड्यूटी से कमाए। 2019-20 में ये कमाई 15,000 करोड़ तक पहुंच गई।
शराब की बिक्री से सरकारों की खूब कमाई भी होती है। अधिकतर राज्यों के राजस्व में शराब का योगदान दूसरे या तीसरे नंबर पर होता है और यही तालाबंदी के बीच शराब की दुकानें खोलने की वजह है।