अब्दुल रशीद
सिंगरौली जिले में राजनीति गरमाई हुई है और व्यवस्था चरमराई हुई है। राजनीति इस लिए नहीं गरमाई है की जनता का कुछ भला हो बल्कि इस लिए गरमाई हुई है की हमारी सफेदी तुम्हारी सफेदी से ज्यादा है। चरमराई हुई इस लिए है की सब कुछ बढ़िया है बढ़िया है सुर्खियों के बीच शहर में गंदगी और बजबजाती नाली से कब कौन सा नया वायरस निकल आए कहा नहीं जा सकता। प्रदेश के मुखिया का दावा राहत देने की और विभाग कटे हुए तार से झटका देने का काम कर रहा है। अब भला गरीब आम आदमी का मटका “गरमाई और चरमराई” के बीच बजबजाती नालीयों से कौन सा विकास रूपी जल भरे जिससे प्यास बुझे।
नेता जी का दर्द है पेट्रोल के दाम बढ़ गए,दर्द वाज़िब है लेकिन यह कैसा दर्द जो एक ही दल के होते हुए अलग अलग छलक रहा है। प्रकृतिक रूप से तो ऐसा होता नहीं राजनीतिक रूप रंग क्रिकेट के अंतिम बॉल की तरह न जाने कब खेल बदल दे। पर जनता क्या समझे जो दल समूह में रह कर दर्द नहीं छलका सकती वह जनता का सामूहिक विकास भला कैसे करेगी।
सवाल इमली खट्टे हैं,जवाब आम खट्टे भी होते हैं मीठे भी लगता है आपने गलती से कच्चे तोड़ लिए हैं।भईया सवाल इमली है आम नही,जवाब आप कौन से खास हैं आप भी तो आम हैं। आम लोग के लिए आम जवाब है। आप को सहना है आपको ही भोगना है राजनीति में नीति को मत ढूंढिए राज की चमक को देख आंखो को ठंडक पहुंचाइए, ताकि दिनभर की हाड़ तोड़ मेहनत के बाद विरोधियों के पुतला जला रहे नेता जी के सफ़ेद कुर्ते की क्रिच के तरह मचोराए और आईंठे आपके शरीर को शायद राहत मिल जाए।
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